• Tue. Jun 24th, 2025

नंदा जाही का रे , नंदा जाही का ..बैलागाड़ी के परंपरा हर नंदा जाही का . सड़कों से विलुप्त हो रही बैलगाड़ी पर पढिए एक विशेष रिपोर्ट..

Byvinay mishra

May 14, 2025

कल्लूराम न्यूज. इन – ( पाली से कमल महंत की रिपोर्ट)
विलुप्त होती धरोहर: कभी थी शान की सवारी अब ठहर गई जीवन को आगे बढ़ाने वाली देशी गाड़ी, सामान और इंसान दोनों को ढोती थी यह बैलगाड़ी


कोरबा(विशेष):- “बैलगाड़ी” जो कभी भारतीय परंपराओं व पूर्वजों के यातायात का एकमात्र साधन होने के साथ गांवों की जीवन रेखा हुआ करती थी तथा लोगों व सामानों के परिवहन का मुख्य साधन थी, आज आधुनिकता के आधापाधी में विलुप्त होती जा रही है। बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए और न डीजल का खर्च न पेट्रोल में पैसे जलने की संभावना वाली बैलगाड़ी आज पुराने यादों में शामिल हो गई है। चाहे खलिहान से अनाज लाने की बात हो या फिर बेचने के लिए सेठ साहूकारों के पास जाने की। इन सभी कामों में बैलगाड़ी का उपयोग बेहिचक किया जाता था। गांव मोहल्ले के लोगों को अपने रिश्तेदारों के यहां ले जाने में भी बैलगाड़ी संपर्क का साधन होती थी। न पंचर का भय, न कोई रखरखाव का खर्च। कृषि कार्य मे उपयोग होने वाले बैल अथवा भैंस इस गाड़ी के जीवंत इंजन का कार्य करते रहे। पगडंडियों से लेकर पक्की सड़क पर सरपट दौड़ लगाने वाली यह गाड़ी शादी- विवाह जैसे विशेष कार्यों में गतंव्य स्थान तक जाने वाला एकमात्र साधन थी। पूरी तरह भारतीय परिदृश्य एवं संस्कारों की अनुभूतियों को दर्शाने वाली यह गाड़ी आज प्रायः विलुप्त हो रही है। आधुनिकता की परकाष्ठा ने इसकी उपयोगिता को नजर अंदाज कर दिया है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि बैलगाड़ी किसानों के लिए उतनी ही मूल्यवान है जितना पहले थी। लेकिन किसान आज इस गाड़ी को रखना अपने लिए शान व शौकत के खिलाफ मानते है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आज से लगभग दो- ढाई दशक पहले सैकड़ो किसानों के अलावा सेठ साहूकारों के पास भी बैलगाड़ी हुआ करती थीा। लेकिन आज जिले भर में कुछेक किसानों को अपवाद छोड़ दिया जाए तो अधिकांश किसानों की बैलगाड़ियाँ नदारद हो गई है जबकि अन्य बैलगाड़ी के शेष सामान घर के बाहर पड़े सिर्फ याद दिलाने के लिए रह गए है। कारण यह कि आधुनिक परिवहन साधनों जैसे ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, कारों और सवारी वाहनों के आने से इसका उपयोग लगभग खत्म सा हो गया। इसके अतिरिक्त सड़कों के विकास से भी बैलगाड़ी का उपयोग खत्म हुआ है, क्योंकि अब आधुनिक वाहन सड़कों पर बेहतर तरीके से चल रहे है। बैलगाड़ी के विलुप्त होने से ग्रामीण जीवन पर कई तरह से प्रभाव पड़ा है। उदाहरण के लिए किसानों को अब अपने खेत तक पहुँचने के लिए और अपने उत्पादों को बाजार तक ले जाने के लिए बैलगाड़ी पर निर्भर रहना नही पड़ता है। दूसरी ओर ग्रामीण समुदाय को एक साथ बांधने वाली सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां भी बैलगाड़ी के न रहने से कम हो गई है। कुछ लोग बैलगाड़ी को बचाने और इसे पारंपरिक व सांस्कृतिक मूल्यों के रूप में संरक्षित करने के लिए प्रयासरत है। यही कारण है कि विलुप्त होती बैलगाड़ी गाहे- बगाहे सड़कों पर देखने को मिल जाती है, जो भूले- बिसरे पुरानी यादों को ताजातरीन कर देती है।

vinay mishra

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed