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मरवाही वनमंडल में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोपी सरगना एसडीओ संजय त्रिपाठी पर आखिरकार क्यों मेहरबान है सरकार ? सुशासन तिहार में शिकायत के बाद भ्रष्ट अधिकारी पर होगी कार्रवाई या फिर मामला ठंडे बस्ते में ?

Byvinay mishra

May 10, 2025

कल्लूराम न्यूज. इन…( पाली से कमल महंत की रिपोर्ट)
जीपीएम जिले के मरवाही वनमंडल में 1.02 करोड़ के अनियमितता मामले में वन विभाग की घोटालेबाज टीम सस्पेंड लेकिन सरगना एसडीओ संजय त्रिपाठी पर सरकार मेहरबान, सुशासन तिहार में हुए शिकायत के बाद क्या होगी रिकवरी या फिर मामला ठंडे बस्ते में…?

0 बिलासपुर में पदस्थ रहने के दौरान डीएफओ कुमार निशांत के अध्यक्षता में कमेटी ने जांच कर पाया दोषी, अब डीएफओ निशांत कटघोरा में है पदस्थ और उन्हीं के अधीन हैं एसडीओ त्रिपाठी.


कोरबा/कटघोरा:- गौरेला- पेण्ड्रा- मरवाही जिला में गत पदस्थापना काल के दौरान 1.02 करोड़ के अनियमितता के दोषी और वर्तमान कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल में पदस्थ एसडीओ संजय त्रिपाठी के विरुद्ध शासन की ओर से पिछले दो वर्षों से कार्रवाई लंबित है। पिछली सरकार में इन्हें संरक्षण मिलता रहा लेकिन प्रदेश में भाजपा के साय सरकार से सभी को उम्मीदें थी कि कार्रवाई जरूर होगी। पर लोगों की उम्मीदें सिर्फ उम्मीदें बनकर ही रह गई है। वर्तमान सुशासन तिहार में एसडीओ त्रिपाठी के उक्त भ्रष्ट्र मामले की शिकायत के बाद एक बार फिर मामला शासन के पाले में चला गया है, किन्तु किसी प्रकार की कार्रवाई धरातल पर आ पाएगी अथवा मामला पुनः ठंडे बस्ते में चला जाएगा…? यह सवाल उठना लाजिमी है।

एसडीओ संजय त्रिपाठी के विरुद्ध तत्कालीन शिकायत के आधार पर वन विभाग के द्वारा बिलासपुर वनमंडलाधिकारी बतौर पदस्थ रहे कुमार निशांत की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय कमेटी द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच कराई गई और समिति ने उन्हें दोषी पाया, वही डीएफओ कुमार निशांत कटघोरा वन मंडल में पदस्थ हैं और वर्तमान उन्हीं के अधीन एसडीओ त्रिपाठी भी वन मंडल की योजनाओं में करोड़ों का खेल किये बैठे हैं। कुमार निशांत और संजय त्रिपाठी एक- दूसरे की करगुजारियों से वाकिफ हैं तो इसके बाद वन विभाग में भ्रष्टाचार ना हो रहा हो, इसको लेकर तो कोई सवाल उठता ही नहीं। एसडीओ संजय त्रिपाठी के विरुद्ध पूर्व में शिकायतें होती रही हैं। एक शिकायत पर शासन के प्रमुख सचिव को विभागीय पत्र प्रेषित करते हुए कार्यवाही के लिए आग्रह किया गया लेकिन 2 वर्षों से भी अधिक समय से सारा कुछ लंबित ही चला आ रहा है जबकि दोषी पाए गए अन्य लोग निलंबन की सजा प्राप्त कर चुके हैं।

एसडीओ त्रिपाठी के भ्रष्ट्राचार से संबंधित यह है पूरा मामला
प्रमुख सचिव, छ.ग. शासन, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, मंत्रालय, महानदी भवन, नवा रायपुर, अटल नगर (छ.ग.) को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख छ.ग. नवा रायपुर अटल नगर के द्वारा दिनांक 06/03/2023 को प्रेषित पत्र के अनुसार- विषयांतर्गत मुख्य वन संरक्षक, बिलासपुर वृत्त के संदर्भित पत्र द्वारा प्राप्त मरवाही वनमण्डल के अंतर्गत वन परिक्षेत्र मरवाही में रोपणी प्रबंधन समिति चिचगोहना एवं नेचर कैम्प प्रबंधन समिति जामवंत माड़ा गगनई (साल्हेकोटा परिसर) में किये गये कार्यों में अनियमितता की शिकायत पर जांच समिति के प्रतिवेदन के आधार पर संजय त्रिपाठी, स.व.सं. तत्कालीन उप वन मंडलाधिकारी पेण्ड्रा, मरवाही वन मंडल पेण्ड्रारोड़ के पदस्थिति अवधि के दौरान मरवाही वन परिक्षेत्र में रोपणी प्रबंधन समिति चिचगोहना एवं नेचर कैम्प प्रबंधन समिति जामवंत माड़ा गगनई (साल्हेकोटा परिसर) में विभिन्न योजनाओं की शासकीय राशि को फर्जी समिति का गठन कर अवैधानिक समिति के खाते में शासकीय राशि जमा करने के फलस्वरूप आहरण एवं व्यय कर शासकीय राशि का वित्तीय दुरूपयोग एवं वन वित्तीय नियमों/भण्डार क्रय नियम का पालन नहीं किया जाकर, शासन की राशि रू. 99,30,643/- का अनियमित एवं अनुचित व्यय किया गया है तथा नेचर कैम्प गगनई अंतर्गत प्रचलित निविदा के अलावा भिन्न निविदाकार से सामग्री क्रय में बाजार दर से ज्यादा मूल्य में सामग्री क्रय करने से शासन को राशि रू. 2,69,422/- की हानि हुई है, इस प्रकार कुल लगभग 1.02 करोड़ के अनियमित व्यय आंकलित किया गया है, जो वसूली योग्य है। अतः उपरोक्तानुसार अर्थिक अनियमितता हेतु संजय त्रिपाठी, स.व.सं. तत्कालीन उप वन मंडलाधिकारी पेण्ड्रा, मरवाही वन मंडल पेण्ड्रारोड को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के उप नियम 9 (1) (क) में निहित प्रावधान अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ किया जाना प्रस्तावित है। कृपया तद्‌नुसार आवश्यक अग्रिम कार्यवाही किये जाने का अनुरोध है।

स्थानांतरण के संभावनाओं के बीच डीएफओ निशांत का रुक गया तबादला
गत माह वन मंत्रालय द्वारा प्रदेश के दर्जनों आईएफएस अफसरों का तबादला किया गया, लेकिन इस तबादला नीति में कटघोरा डीएफओ कुमार निशांत का अन्यंत्र स्थानांतरण नही हुआ। ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती शासनकाल के दौरान कटघोरा वनमंडल में पदस्थ रहने वाले वन अफसरों ने इस वनमंडल को अपना चारागाह बना रखा था और खुलकर मनमानी को अंजाम दिया। डीएफओ कुमार निशांत के पदस्थापना के बाद यह कहा जा रहा था कि अब वन विभाग के कार्यों में सुधार आएगा। लेकिन लोगों का यह सोच गलत साबित हुआ और डीएफओ निशांत भी इनके पूर्व पदस्थ रहे दो डीएफओ की भांति भ्रष्ट्राचार पर रोक लगाने के बजाय इसे बढ़ावा देने लगे। नतीजतन कटघोरा वनमंडल में लूट- खसोट और अनियमितता थमने का नाम नही ले रहा। यहां पदस्थ अधिकारियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्ट्र कृत्यों को लेकर डीएफओ निशांत कुमार का अन्यंत्र स्थानांतरण तय माना जा रहा था, परंतु स्थानांतरण नीति में उनका नाम शामिल नही होने को लेकर कयास लगाया जा रहा कि अपना तबादला रुकवाने में डीएफओ सफल रहे और कटघोरा वनमंडल में भ्रष्ट्राचार का कार्यकाल बढ़ गया।

vinay mishra

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