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देश की प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फूले के नाम पर किया जाए उसलापुर हायर सेकंडरी स्कूल का नाम. महिला मंडल ने अंबेडकर चौक से रैली निकाल कर कलेक्टर को दिया ज्ञापन

Byvinay mishra

Jan 3, 2024

कल्लूराम न्यूज. इन
बिलासपुर…..
राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती के पावन अवसर पर महिला सशक्तिकरण संघ बिलासपुर एवं राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले महिला मंडल बिलासपुर द्वारा बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के प्रतिमा से रैली निकालकर कलेक्टर को विज्ञापन सोपा,ज्ञापन में लेख है कि
भारत की प्रथम महिला शिक्षिका विद्यालय उसलापुर स्कूल का नाम माता सावित्रीयाई फूले के नाम पर किये जाने एवं पंचक में भाता सावित्रीचाई फूले की आदमकद प्रतिमा स्थापित किए जाने बाबत् ज्ञापन सोपा।
आयुष्मति वंदना भांगे अध्यक्ष महिला सशक्तिकरण संघ ने ज्ञापन में लिखा है कि भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज भारत की पहली महिला शिक्षिका माता सावित्री बाई फूले के विषय में कुछ लिखना वैसे तो सूरज को दिया दिखाने के समान होगा बावजूद इसके स्मृति को फिर से जागूत करते हुए माता सावित्री बाई फूले का संक्षिप्त जीवन परिचय एवं उनके द्वारा किए गए सामाजिक संघर्षों को चिन्हांकित किया जाना उचित होगा।

मातासावित्री बाई फूले का जन्म 3 जनवरी 1831 में महाराष्ट्र के सतारा जिला में हुआ तथा कालांतर में इनका विवाह पुणे के समाज सेवी ज्योतिराव फूले से हुआ। पति से शिक्षा-दीक्षा- सम्मान – प्रोत्साहन प्राप्त कर सावित्री बाई भारत की पहली महिला शिक्षिक बनी एवं पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर 1848 में पुणे में प्रथम महिला विद्यालय की स्थापना की जिसमे वे स्वयं शिक्षिका के रूप में लड़कियों और समाज के बहिष्कृत हिस्सों के लोगों को शिक्षा प्रदान की।

आजादी से पहले समाज के अंदर छुआछूत, सतीप्रथा, बाल विवाह और विधवा पुर्नविवाह बाध्यता जैसी कुरीतियां व्याप्त थी। आज की तरह महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था ऐसे कठिन एवं चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए सावित्री बाई दलित, शोषित, पीड़ित एवं शुद महिलाओं के उत्थान के लिए काम करना प्रारंभ किया इस दौरान सावित्री बाई को समाज के एक बड़े वर्ग के विरोध का भी सामना करना पड़ा जब वे विद्यालय पढ़ाने के जाती तो लोग उन पर कीचड गंदगी फेकते और पत्थर से मारते बावजूद इसके सावित्री बाई अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रही एवं वर्ष 1849 तक कुल 5 विद्यालय जिसमें लड़कियों को शिक्षित किया जाता था प्रारंभ किया। तत्कालिक सरकार ने फूले दम्पत्ति को इस कठिन प्रयासों के लिए सम्मानित भी किया। 1848 से सावित्री बाई के मृत्यु पर्यन्त एक महिला प्राचार्य के लिए बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती।

आज आजादी के 75 वर्षों के पश्चात् जब हम अपने समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पित उन जननायक / नायिकाओं को याद करते है एवं उनके सम्मान एवं स्मृति में उनके कार्यों को याद करने के साथ – साथ उनका जन्मदिवस एक त्यौहार एवं समारोह के रूप में मनाते है। ऐसे ही एक समारोह महिला सशक्तिकरण संघ बिलासपुर एवं राष्ट्रमाता सावित्री बाई फूले महिला मण्डल द्वारा विगत कई वर्षो, से दिनांक 3 जनवरी को माता सावित्री बाई फुले जयंती मना रहा है इसी तारतम्य में इस वर्ष भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस पावन दिन 3 जनवरी के उपलक्ष्य में महिला सशक्तिकरण संघ बिलासपुर एवं राष्ट्रमाता सावित्री बाई फूले महिला मण्डल, बिलासपुर के साथ ही समाज के जागरूक नागरिक एवं प्रबुद्ध जनमानस आपसे यह निवेदन करते हैं कि भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, कवियत्री, समाज सेविका एवं नारी शिक्षा आंदोलन की प्रणेता माता सावित्रीबाई फूले की स्मृति में शासकीय उच्च माध्य. विद्यालय उसलापुर स्कूल का नाम माता सावित्रीबाई फूले के नाम पर किये जाने एवं मंगला चौक में माता सावित्रीबाई फूले की आदमकद प्रतिमा स्थापित कर माता सावित्री बाई को उनके द्वारा किये गये समाज कल्याण एवं राष्ट्रनिर्माण के कार्यों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके।

vinay mishra

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